
गाज़ा में लागू हुआ Peace Agreement, पर Hamas अब भी अपनी ‘पुरानी आदतों’ से मजबूर है। इजरायली मीडिया के मुताबिक, हमास ने जिन चार मृत बंधकों के शव लौटाए हैं, उनमें से एक शव इजरायली नहीं, बल्कि गाज़ा का स्थानीय निवासी निकला।
मतलब शांति वार्ता का ये हाल है — शव तक असली नहीं दिए जा रहे!
4 शव, 3 असली
इजरायली रक्षा सूत्रों ने बताया कि शवों की पहचान की प्रक्रिया में एक शव की डीएनए प्रोफाइल मेल नहीं हुई। शव किसी गाजा निवासी का है, जो बंधक नहीं था। अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या हमास ने जानबूझ कर ऐसा किया? या फिर उन्हें खुद ही नहीं पता कि किसका शव किस बॉक्स में गया?
ट्रंप का “शांति” सपना… शवों में उलझ गया?
इस डील के पीछे बड़ी भूमिका डोनाल्ड ट्रंप की भी मानी जा रही थी। लेकिन ये ‘शव विवाद’ ट्रंप की मिडिल ईस्ट डिप्लोमेसी पर भी सवाल उठा रहा है।
“अमेरिका ने तो गाजा में शांति की उम्मीद की थी, लेकिन यहां तो शवों की शिनाख्त ही गलत निकली।”
गंभीर सवाल: क्या ये तकनीकी गलती है या रणनीतिक धोखा?
हालांकि हमास की तरफ से कोई आधिकारिक सफाई नहीं आई है, पर इजरायली खुफिया एजेंसियां इसे ‘सोची-समझी साजिश’ बता रही हैं।
एक अधिकारी ने कहा- “हमास ना केवल लोगों की जान ले रहा है, बल्कि अब शांति वार्ता की आत्मा भी मार रहा है।”
Peace डील या Pieces डील?
गाजा समझौता कागज पर तो ‘शांति’ है, लेकिन जमीन पर अभी भी हर शव के साथ नए विवाद जन्म ले रहे हैं। शांति तभी मुमकिन है जब सिर्फ बयान नहीं, नीयत भी सही हो।
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